प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 34)
जंगल का वह इलाका पूरी तरह प्रकाश से भर गया था। बुलैरिश आर्मी के सभी लड़ाकों का ध्यान उन बाइक्स की ओर चला गया, सभी ने उस ओर फायरिंग आरम्भ कर दी जिधर से दोनों बाइक्स आ रही थी। चालाकी दिखाते हुए दोनों ने अपनी बाइक्स की दिशा बदल दी, और एक दूसरे की विपरीत दिशा में बढ़ते हुए दोनों ने भी फायरिंग स्टार्ट कर दिया।
"ये है तुम्हारा ब्रह्मास्त्र?" आशा बुरी तरह शॉक्ड थी। उसे लगने लगा था इसका दिमाग सचमुच अपनी जगह से हिला हुआ है।
"कोई शक है क्या निराशा जी! अब निराश न होइए, जल्दी ही धरती इन कपूतों के बोझ से मुक्त हो जाएगी।" अनि ने चट्टान के पीछे से निकलते हुए कहा। वह बड़ी सावधानी से एक चट्टान की ओट लेते हुए एक नकाबपोश पर कूद गया, इससे पहले उसके मुंह से चीख भी निकल पाती अनि ने उसकी गर्दन मरोड़कर जमीन पर लिटा दिया। तभी एक दूसरे नकाबपोश की नजर अनि पर पड़ी, उसने अनि पर फायर करना चाहा, अनि भी इसके लिए तैयार बैठा था मगर इससे पहले दोनों कुछ कर पाते, आशा ने एक भारी पत्थर उठाकर उस नकाबपोश के सिर पे पटक दिया। वह उस चट्टान से गिरकर लुढ़कता हुआ नीचे झाड़ियों में चला गया। मगर आशा ने ये करके कुछ का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था।
"क्या यार तुम्हें तो घास की रोटी पसन्द ही नहीं आती तो सोची की पत्थर की पकौड़ी खिला दूं!" आशा ने एक छोटा सा पत्थर उठाकर, एक नकाबपोश पर निशाना साधते हुए बोली। निशाना अचूक था, पत्थर उसकी खोपड़ी में घुस गया।
"ये दोनों इधर हैं, भून दो सालों को, इसकी तो…!" बुरी तरह तिलमिलाया हुआ वह शख्स गालियां बकते हुए उनकी ओर अंधाधुंध फायरिंग झोंक दिया। अनि लेटते हुए चट्टान के नीचे कूद गया, आशा भी एक दूसरी चट्टान के पीछे छिपकर उसके पास जाने की कोशिश करने लगी।
"यही सीक्रेट एजेंट हो तुम निराशा जी? क्या जरूरत थी बेचारे को इतना निराश करने की?" अनि ने खुसफुसाते हुए ताना मार कर कहा।
"वह तुम पर गोली चलाने वाला था! कुछ हो जाता तो?" आशा ऐसे बोली जैसे अनि के कुछ होने की कल्पनामात्र करके उसका रोम रोम सिहर गया हो।
"तो होने देती ना! याद रखना पहले देश फिर बाकी सबकुछ। और मैं कभी भी नहीं…!" अनि की सुर्ख लाल आंखे खौलती सी नजर आ रही थी, आशा का दिल तेज तेज धड़कने लगा, उसने अनि की ओर से नजर घुमा ली और उठते हुए उस नकाबपोश की ओर भागी। अनि ये देखकर बुरी तरह हैरान हुआ, वह उससे भी तेज गति से भागा। अब तक दो तीन अन्य नकाबपोशों की नजर भी उन दोनों पर पड़ चुकी थी। उस नकाबपोश की गोलियों से बचते हुए आशा उस तक पहुँचती जा रही थी, यह देखकर अनि का माथा ठनका उसने अपनी गति और बढ़ा दी, तभी उसे हल्की सरसराहट महसूस हुई, वह तेजी से झुक गया, एक गोली उसके सिर के ऊपर से गुजरती हुई गयी, तभी उसके मुँह पर जोरदार किक पड़ी, वो पीछे जा गिरा। अब अनि चार-पाँच नकाबपोशों से घिर चुका था, उसका इतनी आसानी से बच निकलना आसान नहीं था मगर फिर भी उसके होंठो पे रहस्यमय मुस्कान घिरी हुई थी।
उधर आशा उस शख्स की गोलियों से बचती हुई उसके बिल्कुल करीब जा पहुँची थी। वह नकाबपोश उसका यह कारनामा देखकर बुरी तरह हैरान था, गोली चलने के अगले ही सेकंड आशा अपना पूर्व स्थान बड़ी फुर्ती के साथ बदलती जा रही थी।
"ये कैसे मुमकिन है?" उस नकाबपोश ने जब आशा को बिल्कुल पास देखा था उसे यकीन न हुआ।
"ठीक वैसे ही जैसे जब तुम्हारा जबड़ा टूटने वाला है।" उसके गन की नाल को आसमान की ओर कड़ते हुए आशा ने उसके मुँह पर जबरदस्त किक मारी, वह उस चट्टान से नीचे जा गिरा। आशा ने उसकी बन्दूक उठाई मगर वो खाली हो चुकी थी। उसे भी चार - पांच नकाबपोशों ने घेर लिया था, उन सभी का निशाना अब वही थी।
"शिट!" उसके मुँह पर ऐसे भाव उभरे जैसे उसे धोखा मिला हो।
"तुम घिर चुकी हो लड़की! हिलने की कोशिश भी मत करना। अब चुपचाप हमारे साथ चलो।" एक नकाबपोश ने उसके करीब जाते हुए कहा।
"दूर रहो मुझसे!" आशा ने अपना पंजा घुमाया, उस नकाबपोश के नकाब के कपड़े के टुकड़ों के साथ त्वचा भी उसके नाखूनों ने उखड़ गए थी। उसका गाल बुरी तरह लहूलुहान हो गया।
"मुझपे हाथ उठाती है साली! रुक तो, तुझे मैं ये करना का अंजाम बताता हूँ।!" अपने गाल पर बह रहे खून को पोंछते हुए भन्नाया हुआ वह नकाबपोश आशा की कनपटी पर बंदूक रख दिया।
"रुक जा अशरफ! बॉस को ये जिंदा चाहिए।" एक अन्य नकाबपोश ने उसको रोकते हुए कहा। आशा के होंठो पे जहरीली मुस्कान उभर आई।
"हाहाहा..! मार न मुझे? क्या हुआ पिल्ले? साले तुम लोग अपने बॉस के आगे पीछे दुम हिलाने से ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। दम है तो मार गोली।" आशा व्यंग्यपूर्ण लहजे में उसे चिढ़ाते हुए बोली। जिसके कारण अशरफ का गुस्सा और बढ़ गया, उसने फिर से उसपे बन्दूक तान दी, मगर आशा के होंठो की मुस्कान तनिक भी कम न हुई थी।
"रुक जा अशरफ! बॉस इसे जिंदा ले जाने पर करोड़ो का इनाम देगा।" उस नकाबपोश ने उसे दुबारा रोकते हुए कहा। मगर अशरफ ने इस बार कोई हरकत नहीं कि, जैसे इस बार वह उसकी बात मानने को तैयार नहीं था। आशा के होंठो की मुस्कान और गहरी हो चली थी।
"अब क्या अपने मैय्यत का इंतजार कर रहा है? गोली चला न बे दम है तो!" आशा ने उसे गुस्सा दिलाने के लिए तल्ख लहजे में कहा। अशरफ की उंगलियां ट्रिगर पर दबाव बढ़ाती जा रही थी।
"उसकी बात सुनना बन्द कर! रुक जा!" एक अन्य नकाबपोश ने उसे रोकने की कोशिश की, मगर गुस्से से पागल अशरफ ने बिना कुछ सोचे समझे उसपर ही गोली चला दिया। इससे पहले अशरफ कोई और हरकत कर पाता तीनों नकाबपोशों ने उसे छलनी कर दिया। आशा की मुस्कान और गहरी हो गयी, वह तेजी से उन तीनों की ओर बढ़ी। एक के पेट पर जोरदार लात मारते हुए उसने उछलकर दूसरे की गर्दन पकड़ ली। तीसरा उसकी ओर उछला मगर इससे पहले वो आशा तक पहुँच पाता, आशा ने उसके चेहरे पर जोरदार पंच मारा,
उसकी नाक टूट गयी, भल्ल भल्ल कर नाक से खून बहने लगा। वह बुरी तरह दर्द से बिलबिलाते हुए आशा की ओर बढ़ा। इससे पहले आशा कोई प्रतिक्रिया करती उसने आशा की गर्दन को पीछे से बुरी तरह दबोच लिया, आशा की साँस थमने लगी थी, उसके आँखों के सामने अंधेरा नाचने लगा। अगले ही पल वह बेहोश होने वाली थी, उसका शरीर शिथिल पड़ने लगा था। अचानक ही उसने अपने सिर को ऊपर की ओर झटका दिया, उसका सिर उस नकाबपोश के टूटी हुई नाक से जा टकराया, वह आशा को छोड़ दूसरी ओर लुढ़क गया। अपने कपड़ों को झाड़ते हुए आशा उठी, मगर अब उसके सामने एक दो नहीं दसियों नकाबपोश बन्दूक ताने खड़े थे, अब उसका बच पाना मुश्किल था।
उधर अनि उन पांचों नकाबपोशों को अपने बातों की जाल में उलझाए जा रहा था। उसकी अतरंगी हरकते देखकर सभी नकाबपोश लोट पोट हुए जा रहे थे। मगर अब इंतेहा होती जा रही थी, सभी ने अब भी अनि पर गन पॉइंट किया हुआ था।
"तू चुप कर और हमारे साथ चल!" एक ने उसकी बकवास को विराम देते हुए कहा।
"मैं क्यों चलूं? कौन सी शादी कर दोगे मेरी आप लोग? पहले भी कुँवारा था अब भी कुँवारा ही मरूंगा! मुझे नहीं जाना कहीं!" अनि रूठने की एक्टिंग कड़ते हुए मुँह फुलाकर बैठ गया।
"व्हाट द हेल मैन? हम तुमसे रिक्वेस्ट नहीं कर रहे, आर्डर दे रहे हैं। चुपचाप हमारे साथ चल।" उस नकाबपोश ने अनि के कॉलर को खिंचते हुए कहा।
"हाहाहा.. आपने मेरा कॉलर पकड़ा!" अनि खुशी से उछलने लगा। उस नकाबपोश ने हकबकाकर उसका कॉलर छोड़ दिया।
"अरे छोड़ क्यों दिया भैया? फिर से पकड़ो न!" अनि उसके हाथ से अपना कॉलर थमवाते हुए बोला। "आजतक बचपन से कोई मार दुलार नहीं मिला न इसलिए जंगल में भटक गया था मैं, नहीं तो।ऐसे जगह कौन आता जहां आप जैसे साक्षात यमभूत हैं।"
"यमदूत होता है वो!" एक ने अनि को टोकते हुए कहा।
"तू यहाँ इसका स्पेल्लिंग सही करने आया है क्या? चल बे डेढ़ स्याणे बहुत हो गयी तेरी बकवास!" उस नकाबपोश ने अनि की कॉलर खींचते हुए कहा।
"भैया एक सेल्फी ले लो न! फेसबुक पर पोस्ट शेयर करूँगा हैशटैग विथ ख़तरनाक भैया, फीलिंग फियर!" अनि ने दांत दिखाते हुए कहा।
"बकवास बन्द कर अपनी।" उस शख्स ने अनि के कनपटी पर बंदूक सटाते हुए कहा।
"नहीं मानोगे न! तो मत मानो, हमारी बला, से नरक में मिलेंगे।" अनि ने चेहरे पर अजीब सा भाव लाते हुए कहा।
"क्या कहा?" एक ने पूछा।
"यही कि मिस्टर बर्बादी तुम्हें बर्बाद कर देंगे!" अनि ने हाथ लहराते हुए कहा। एक गोली उस नकाबपोश की खोपड़ी चीरती हुई पार हो गयी, इससे पहले बाकी का कोई कुछ कर पाता चार-पांच गोलियां चली और सब जमीन और पड़े हुए नजर आने लगे। तभी वहां ब्लैक कावासाकी निंजा पर अरुण आता हुआ दिखाई दिया, जिसके हाथ में थमी पिस्टल से अब भी धुँआ निकल रहा था। उसने अनि से कुछ दूरी पर बाइक रोक दिया।
"अरे थोड़ा देख ताक के गोली चलाते, एकाध हमें लग जाती तो….?" अनि ने उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा।
"तो क्या होता?" अरुण ने ऐसे कहा जैसे उसे फर्क ही नही पड़ा।
"वैसे तुम न भी आते तो मैं इनसे निबट ही लेता।" अनि ने बनावटी हँसी हंसते हुए कहा।
"हाँ! बिल्कुल, बिल्कुल।" अरुण ने उसी के अंदाज़ में जवाब दिया।
उधर आशा उन सभी नकाबपोशों से घिरी हुई थी। अगर उसके हाथ में भी हथियार होता तो एक बार जरुर सोचती मगर खाली हाथ उन पहलवानों से पंगा लेने का मतलब सीधे मौत ही था। तभी उसके ब्रेसलेट पर हल्की घनघनाहट हुई, जिसपर सांस रोकने के निर्देश दिए गए थे। आशा ने अपनी सांस रोक ली अगले ही पल वहां हरा कुहरा फैल गया, आशा को किसी ने तेजी से उठाया और उस कुहरे से बाहर ले गया, जहां से थोड़ी दूर अरुण ने अभी अभी उन नकाबपोशों को टपकाकर अनि को बचाया था।
"क्रेकर!" क्रेकर को देखकर अनि ऐसे खुश हुआ जैसे उसे उसकी बिछड़ी हुई पुरानी प्रेमिका मिल गयी हो। यह देखकर आशा को फिर थोड़ी जलन मचने लगी।
"इसने ऐसा कैसे कर लिया?" आशा हैरानी से अनि की ओर देख रही थी।
"मत भूलो कि अब ये महान रायासनिज्ञ अनिरुद्ध की बाइक है!" अनि ने दम्भ भरते हुए कहा।
"रायासनिज्ञ क्या होता है?" अरुण ने भौंहे चढ़ाकर पूछा।
"कुछ भी यार! तुम बस पेड़ खाओ आम मत गिनों! ये मेरा नया केमिकल है जो हवा के साथ घुलकर, शरीर में प्रवेश करता है और बड़े आराम से शरीर के अंदरूनी अंगों को चीरते हुए बाहर निकल आता है। थोड़ी ही देर में ये सब नरक के वासी होंगे।" अनि ने हंसते हुए कहा।
"इसकी हिंदी?" अरुण को फिर अनि की भाषा से चिढ़ होने लगी।
"कोई बात नहीं सर! अनि सर की भाषा ऐसी ही है, पर अच्छी है।" क्रेकर ने बीच में बोला।
"देखो भला अब इसे भी अपने पक्ष में कर लिया है।" आशा ने मुँह बिचकाया।
"मैं कोई पक्ष नहीं ले रहा मैम! मैं डेटा एनालिसिस कर अपनी बात रख रहा हूँ।" क्रेकर ने सौम्य स्वर में कहा।
"अबे यार मैं भी किस से बात कर रही हूँ।" आशा ने अपने सिर पे हाथ मारते हुए कहा। अब तक वो हरा धुँआ उड़ चुका था, वे सभी नकाबपोश बुरी तरह तड़पते हुए मौत को प्राप्त हो चुके थे।
"गाइस! अभी भी इन सब का अब्बा उधर बैठा हुआ है, ये प्रॉब्लम अभी खत्म नहीं हुई है। और वो बेशक यहां नहीं है नहीं तो यहां काला जंगल का लाइव शो ओपन हो चुका होता।" अनि ने उनका ध्यान मैन मुद्दे की ओर आकर्षित करते हुए कहा।
"वो ब्लैंक इधर ही आसपास के एक निश्चित दायरे में होगा। तुम दोनों अपनी तलाश जारी रखो, अरुण उस ब्लैंक की लाश लेकर लौटेगा।" अरुण ने अपनी बाइक स्टार्ट करते हुए कहा।
"अरे नहीं! रुक जाओ!" अनि चिल्लाया मगर तब तक अरुण वहां से निकल चुका था। "इस इंसान को समझ पाना बहुत मुश्किल है, जब समझाओ तो हाँ हाँ कर देगा लेकिन करना अपने मन का ही है।" अनि ने अपना सिर पीटते हुए कहा।
"हमें अब क्या करना है?" आशा ने अनि से पूछा।
"खाली स्थान भैया को यह स्थान खाली कराने से रोकना है और क्या?" कहते हुए अनि क्रेकर लर सवार हुए, आशा भी उसको घूरते हुए उसके पीछे बैठ गयी। मगर दोनों के बीच इतना फासला था कि कोई तीसरा बीच में बैठ सकता था। आशा के मन में खुशी और मायूसी का मिश्रित भाव घुलता जा रहा था।
क्रमशः...